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म्हारे घेर में आ रह्या री बटेऊ / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
म्हारे घेर में आ रह्या री बटेऊ, साथण का लणिहार
साथण चाल पड़ी मेरे डब डब भर आये नैण
अपणी साथण नै घाघरा सिमा द्यूं नाड़ा झुब्बेदार,
साथण चाल पड़ी मेरे डब डब भर आये नैण
अपणी साथण नै मैं चूंदड़ी रंगा द्यूं, फूल पड़े हजार,
साथण चाल पड़ी मेरे डब डब भर आये नैण
अपणी साथण नै मैं सासरे खंदा द्यूं गैल बटेऊ जा,
साथण चाल पड़ी मेरे डब डब भर आये नैण
अपणी साथण नै मैं तावली मंगा ल्यूं, भेजूं माई जाया बीर
साथण चाल पड़ी मेरे डब डब भर आये नैण