हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
म्हारे बंदड़े का सोन्हा जामां
ऊपर धार बंधी री बटणां की।
चाची ताई मंगल गावैं सारे बगड़े की,
लोंग बखेर हे बाहण बंदड़े की।
चाचे ताऊ मामे फूफे री बराती,
चढ़ गई झाज बनी के सुसरे की।
म्हारे बंदड़े का सोन्हा जामां
ऊपर धार बंधी री बटणां की।
चाची ताई मंगल गावैं सारे बगड़े की,
लोंग बखेर हे बाहण बंदड़े की।
चाचे ताऊ मामे फूफे री बराती,
चढ़ गई झाज बनी के सुसरे की।