♦ रचनाकार: अज्ञात
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म्हारो मन लाग्यो बैराग से,
आरे रमता जोगी की लार
(१) पाव बांध्या हो मीरा घुंगरु,
आरे हाथ ली करताल
दुजा हाथ मीरा तुमड़ा
गुण गाया गोपाल...
म्हारो मन...
(२) एक लाख मीरा सासरो,
आरे दुजा मामा ममसाल
तीजा लाग रे मीरा मावसी
चवथा माय न बाप...
म्हारो मन...
(३) जहेर का प्याला राणा भेजीयाँ,
आरे भेज्याँ दासी का हाथ
जावो दासी मीरा क दई आवो
आमरीत लीजो नाम...
म्हारो मन...
(४) जावो दासी होण देखी आवो,
आरे मीरा जीवती की मरती
मरी होय तो वक फेकी दिजो
मीरा जैसी की वैसी...
म्हारो मन...