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म्हारो मीठो लागै खीचड़ो / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
म्हारो मीठो लागै खीचड़ो।
म्हारो चोखो लागे खीचड़ो।। मीठो खीचड़ो।।
छुलक्यो छांढ़यो बाजरो।
म्हें दली ए मूंगा की दाल।। मीठो खीचड़ो।।
खदबद सीझै बाजरो।
कोई लथपथ सीझै दाल।। मीठो खीचड़ो।।
दूध खिचड़ी खावा बैठ्या।
कोई तरसै म्हारी जाड़।। मीठो खीचड़ो।।