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म्हैं कठै ? / सांवर दइया

जियां बै चालता
म्हैं ई चालण लाग्यो
जियां बै बोलता
म्हैं ई बोलण लाग्यो

म्हैं मुळकता
मन नै आछा लागता जियां
म्हैं ई मुळकण लाग्यो

दुनिया नै दीसण लाग्यो
बांरो उणियारो
म्हारै मांय

एक दिन इयां ई
अचाणचक ठोकर लागी
संभळ’र देख्यो
बांरो तो रूं ई खांडो कोनी हुयो

बै तो आज ई ठावी ठौड़ है
पण म्हैं कठै ?