म्हैल देखतां थका / कुमार अजय
कित्तै चाव सूं बणाया हुयसी ठाकरां
थां जैड़ौ ई कुणई महारावळ
अै ऊंचा-चवड़ा किला,
अै रूपाळा म्हैल-माळिया
जिकां नै देखणनै आवै अजै ई
देस-परदेस सूं, सात समदर पार सूं
रोजीनै हजारूं मिनख
देखै अर सुणै घणै अचूंभै साथै-
अठै लागतौ राजाजी रौ दरबार
आं ढोलियां सोवता वै सुख री सेज
अठै हुवतौ ढोली-डूमड़ां रौ नाच-गांणौ
अठै सजती राजाजी री मैफलां
आं सुथरी घड़त वाळा घड़ा मांय
राखीजती दारू
अर इण सोवणी सुराहिया सूं बांदयां
बणावती ही वांरौ पैग
अै वांरा हीरा-मोतियां जड़यां गाभा
अै रैया हथियार, अै कवच
औ अेक राणी रौ म्हैल
औ दूजी राणी अर वौ तीजी राणी रौ
अठै न्हावती राणियां
आं गोखड़ां सूं करती दरसाव स्हैर रा
साथै-साथै और ई नीं ठाह कित्ती
राजाजी रै रौब-रूतबै
हूंस अर बहादुरी सूं जुड़ी बातां
पण म्हैं तौ सुणी हां कै
घणकरा म्हैल तौ वां राजावां रा है
जिकां दूर सूं बैरी आवता ई
पूग जावतां हा वठै लेयनै
जनता रौ खूंन चूसनै भेळा करीजा हीरा-मोती
अर खजांनै रौ घणमोलौ सामांन
वांनै देवणै भेंटा
अर केई-केई तौ खुद री
भैण-बेटियां ई
चढायनै आवता हा बैरी रै
वांरा हथियार तौ फगत
बापड़ी अर भोळी जनता नै
डरावणै रै ई कांम आया
कै पछै शिकार रै नांव किणी
जिनावर नै मारीजौ हौ फगत इणसूं।
देस-परदेस सूं घूमणै आया
सगळा सैलांणी देखै
थांरा अै सोवणा म्हैल-माळिया
अर देखूं म्हैं ई साथै-साथै
कै नीं दिखै किणी नै ई
इणां मांय साव चोवतौ
बापड़ी जनता रौ लोही
नीं दिखै बैवतौ मजूरां रौ रगत
ऊंचै डूंगरा बण्यै म्हैलां नै देखतौ
कुणई नीं सोचै कै
आं डूंगरां माथै अै कुंटल-टनां रा भाठा
कीकर चढाया हुयसी कुणई जवांन
कुणसी क्रेन ही वां दिनां
अर किसी मजूरी दीरीजी हुयसी वांनै
घर सूं रोटी खायनै आवता बापड़ा
अर रात रळयां घरै जायनै ई पाछा जीमता
राजा नै तौ बस करणौ हुवतौ हुकम
जनता बापड़ी करती रैवौ बेगार
हुवता रैवता पछै म्हैल-माळिया त्यार
आ म्हैल-माळियां सूं कांई नीं झांकै
वौ जुलम जिकौ कीन्हौ
राजा अर वांरै दीवान-दरबारियां
देखूं, आं भींता रै फूटरापै हेटै
ल्हुकोयीजौ औ इतिहास
कै कुणई राजा बण्यौ
खुद री मां रौ सिंदूर बुझाणनै
तौ केइयां बणायौ
खुद रै भाइयां री ल्हास रौ सिंहासन
नीं दिखै कै आं म्हैल चिणावणियां मांय सूं
केई नीं हा खुद रै बाप री औलाद
तौ केई तरसता रैया खुद रै रगत सूं
जामेड़ै अेक बेटै नै फगत
गूंठौ दिरीजेड़ी बेटियां री
चीख ई कांई नीं सुणीजै इण गोखड़ा सूं
घणकरै म्हैलां मांय पंजा पांण लटूमी चमचेड़ां
मारै बांस रा भभका,
सूनै कंगूरां बोलै कबूतर
पण किण माटी रा बणेड़ा हौ थां ठाकरां
औ सो-कीं देखनै ई थांनै अक्ल नीं आवै!