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म्है लोग / प्रमोद कुमार शर्मा

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रिजाई री गरमास सूं ले‘र
सबद कूटती मसीना तांई
कीड़ा दांई किलबलांवता म्है लोग
सेवणै पड़ग्या हां
भली-भली बातां
अर खामोस रातां !

म्हारा सबदकोस
डर रै जबाड़ा मांय जाम
बांध लेवै म्हानै‘ई
आपरी मरजादा री सांकळां !
"म्है लोग
कितरा कुलीन हां
कै साब म्हानै
बुलायौ है खाणै माथै"
धिक्कार!
म्हारी आ कुलीनता
जिण सूं बणग्या हां म्है
बधावा गावणियां भांड!

इणी खातर -
म्है काड‘र आपरा दांत
अर सांवट‘र आंत
राफा कानां तांई लेयग्या हां
अर साब रै फीटै चुटकलै माथै
बेमतलब हांसां हां !

"वाह साब!
"के बात है साब!
"ओर सुणावौ साब!!!"
पण भूल जावां म्हैं
नानै दीनू री
मासूम हथाळी पर
दाग्योड़ा कुलीनता राम डाम !
हरामजादा! बीड़ी पीवै?
बोल कठै स्यूं सीख्यौ?
अनै उथळै मांय हासल
हिचक्यां नै बटोर
जाय पूगां फेर
उणी साहबी मुजरै माथै
अर एक भलै मिलख दांई
डूब ज्यावां कंठा तांई
साहब रै सन्मान मांय!