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यथास्थिति / एरिष फ़्रीड / प्रतिभा उपाध्याय
Kavita Kosh से
जो चाहता है —
संसार जैसा है , वैसा ही रहे
वह नहीं चाहता
कि संसार बाक़ी रहेI
मूल जर्मन से अनुवाद : प्रतिभा उपाध्याय