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यदि मैं तुम्हें भूल भी जाऊँ / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
यदि मैं तुम्हें भूल भी जाऊँ लहरों की हलचल में
तो भी छोड़ न देना मुझको मेरे नाथ! अतल में
धीरे-धीरे हाथ बढ़ा कर
मुझे खींच लेना तुम बाहर
मिट जाये मिट जाने का डर जल की उथल-पुथल में
लेना-देना, पाना-खोना
रहे न फिर यह रोना-धोना
सहज-सहज हो, जो है होना उस अनजाने पल में
यदि मैं तुम्हें भूल भी जाऊँ लहरों की हलचल में
तो भी छोड़ न देना मुझको मेरे नाथ! अतल में