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यरुशलम की आबोहवा / येहूदा आमिखाई / विनोद दास

यरुशलम के ऊपर बहती हवा
प्रार्थनाओं और सपनों से लबरेज़ हैं
औद्योगिक शहरों के ऊपर की हवा की तरह
जहाँ सांस लेना दुश्वार है

समय-समय पर इतिहास की एक नई लदान आती है
जिनकी पैकिंग का सामान इमारतें और मीनारें हैं
बाद में इन्हें फेंक दिया जाता है और वे कूड़े के ढेर बन जाते हैं

कई दफ़ा इंसान की जगह मोमबत्तियाँ आती हैं
फिर ख़ामोशी छा जाती है.
कई दफ़ा मोमबत्तियों की जगह इंसान आ जाते हैं
और तब शोर-शराबा होता है

और चारों ओर से बन्द बग़ीचे में
ख़ुशबूदार चमेली की झाड़ियों के पीछे
विदेशी राजनयिक
ठुकराई हुई दुष्ट दुल्हनों की तरह
अपने मौक़े की ताक़ में रहते हैं

अँग्रेज़ी से अनुवाद  : विनोद दास