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यहाँ अभी भी कुछ बचा हुआ है-1 / तुषार धवल
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मुम्बई. व्यस्त बांद्रा (वेस्ट) लिंकिंग रोड. अट्टालिकाएं. पूँजी की चमक. एक भूख गुमनाम इसीलिये अनदेखी. ‘सबसे तेज़ चैनल’ भी अंधा. ‘योर चैनल’ भी गायब. इस खबर पर कॉमर्शियल ब्रेक नहीं है. टी.आर.पी नहीं सनसनी भी नहीं, इसीलिये ‘चैन से सो’ जाओ.
मटियाओ!
कवि अकेला है. उसके पास ब्रेक का वक़्त नहीं. सनसनी भी नहीं.
‘जग सोवत हम जागें’!
समरथ को नहीं दोस गोसांईं!