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यहाँ में कहाँ वह क़ुव्वत / हरीशचन्द्र पाण्डे
Kavita Kosh से
यहाँ आटे की चक्की है
एक जंग लगे टिन को रगड़-रगड़
प्राइमर के ऊपर काला रंग पोत
सफ़ेद अक्षरों में लिखा गया है इसे
और टाँग दिया गया है बिजली के खम्भे के सीने पर
यहाँ आटे की चक्की है
इस इबारत के ठीक नीचे बना है एक तीर
यहाँ में कहाँ वह क़ुव्वत
कि ग्राहक को ठीक-ठाक पहुँचा सके चक्की तक
माना कि बड़ी सामर्थ्य है शब्द में