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यहाँ मौसम के धमकी / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

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यहाँ मौसम के धमकी से भला सागर डरैतै की?
अहो रौदा भरोसे पान के पत्ता फरैतै की?

इलम से काम करना खूब जानै छै बहिन, बेटी
हवा से पूछी के घरनी भला चुल्हा जरैतै की?

बड़ी मिहनत, दुधारी गाय, गोबर, नाद, गोड़ी में
भला न्यूटन यहाँ आबी जनाबर के चरैतै की?

जिताबै छै हराबै छै यहाँ जनता नियामक के
मगर हमरो पसीना के कभी सूरज हरैतै की?

सुनलियै साठ बरसो से अलोधन गाड़लो घर में
मरै के बेर सौसे गाँव में दंगा करैतै की?