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यहाँ हर व्यक्ति है डर की कहानी / जहीर कुरैशी

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यहाँ हर व्यक्ति है डर की कहानी
बड़ी उलझी है अन्तर की कहानी

शिलालेखों को पढ़ना सीख पहले
तभी समझेगा पत्थर की कहनी

रसोई में झगड़ते ही हैं बर्तन
यही है यार, हर घर की कहानी

कहाँ कब हाथ लग जाए अचानक
अनिश्चित ही है अवसर की कहानी

नदी को अन्तत: बनना पड़ा है
किसी बूढे़ समन्दर की कहानी