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यहां आपके ही लोग आपके खिलाफ़ हैं / सांवर दइया
Kavita Kosh से
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यहां आपके ही लोग आपके खिलाफ़ हैं।
कुछ होश में आइये, किस नींद में आप हैं?
आगे कहां जा रहे आप बिना कुछ देखे,
अंगारे बिछे, ऊपर बस जरा-सी राख है।
चारों दिशाओं से उमड़ रही आंधियां,
किसने कहा आपसे आज मौसम साफ़ है?
गले मिलें बेशक, लेकिन जरा संभलें,
लोगों की नीयत इन दिनों खराब है।
माला पहना चुके, बटोर रहे पत्थर,
लगता उनके मन कोई खुरापात है!