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यही तज़ाद तो हैरान करने वाला है / हनीफ़ राही

यही तज़ाद तो हैरान करने वाला है
कहाँ चराग़ रखा है कहाँ उजाला है

मैं ज़ख़्म ज़ख़्म हूँ इस वास्ते नशे में हूँ
मुझे बताओ हरम है कि ये शिवाला है

रईसे शह्र का ये आलिशान बंगला भी
किसी ग़रीब से छीना हुआ निवाला है

अमीर लोगों से महफूज़ रख मेरे मालिक
फिर एक ग़रीब की बेटी ने क़द निकाला है

उन्हीं के सर पे न गिर जाऊँ आसमाँ बनकर
सितमगरों ने मेरा नाम तो उछाला है

हैं इन्तज़ार में तारे भी चाँद भी वो भी
सुना है रात में सूरज निकलने वाला है

हवा की राह में जलता चराग़ है "राही"
वो क्या बुझेगा जिसे रौशनी ने पाला है