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यही रौशनी है, यही रौशनी है / देवी नागरानी
Kavita Kosh से
बुझे दीप को जो जलाती रही है
यही रौशनी है, यही रौशनी है.
जो बेलौस अपने ख़ज़ाने लुटा दे
यही सादगी है,यही सादगी है.
रहे दूर सुख मेँ, मगर पास दुख में
यही दोस्ती है, यही दोस्ती है.
पिया हो मगर प्यास फिर भी हो बाक़ी
यही तिशनगी है, यही तिशनगी है.
बिना कुछ कहे बात आए समझ में
यही आशिकी है, यही आशिकी है.
कभी शांति में ख़ुश, कभी शोर में ख़ुश
यही बेदिली है, यही बेदिली है.
जो चाहा था वो सब न कर पाई ‘देवी’
यही बेबसी है, यही बेबसी है.