यही है सबसे बढ़कर महरमे-असरार हो जाना / जिगर मुरादाबादी
यही है सबसे बढ़कर महरमे-असरार<ref>रहस्यों का मर्मज्ञ</ref> हो जाना
मयस्सर<ref>उपलब्ध</ref> हो अगर अपना हमें दीदार हो जाना
महब्बत में कहाँ मुमकिन <ref>संभव</ref> जलीलो-ख़्वार हो जाना
कि पहली शर्त है इन्सान का ख़ुद्दार <ref>स्वाभिमानी</ref> हो जाना
खुलेगा चारागर<ref>उपचारक</ref> पर राज़े-ग़म क्या दर्द के होते
कि आता है इसे ख़ुद नब्ज़ की रफ़्तार<ref>गति</ref> हो जाना
विसालो-हिज्र<ref>मिलन और जुदाई </ref> के झगड़ों फ़ुर्सत ही न दी वर्ना
मआले-अशिक़ी<ref>आशिक़ी का परिणाम</ref> था रूह का बेदार <ref>जागृत</ref> हो जाना
ज़बाँ गो चुप हुई, दिल में तलातुम<ref>तूफ़ान</ref> है वही बर्पा<ref>मचा हुआ</ref>
न आया आज तक मह्वे-ख़्याले-यार <ref>प्रियतम के ख़्याल में मगन</ref> हो जाना