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यहै सिटी बस हवै / बोली बानी / जगदीश पीयूष
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यहै सिटी बस हवै
भीर ठसाठस हवै
ज्याबै कोउ सफा करै
गोडु कोउ धरि कचरै
बाहेर बउखा ठर्रनि
भीतर उमस हवै
नौकरी करै जइहैं
लउटि सब घरै अइहैं
मजबूरी सबकै है
अदमी बेबस हवै
चहै तहाँ फेल करैं
चहै खतम खेलु करैं
सरकारी पट्टा है
सब उनके बस हवै