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यह अग्निकिरीटी मस्तक / केदारनाथ सिंह
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सब चेहरों पर सन्नाटा
हर दिल में पड़ता काँटा
हर घर में गीला आँटा
वह क्यों होता है ?
जीने की जो कोशिश है
जीने में यह जो विष है
साँसों में भरी कशिश है
इसका क्या करिए ?
कुछ लोग खेत बोते हैं
कुछ चट्टानें ढोते हैं
कुछ लोग सिर्फ़ होते हैं
इसका क्या मतलब ?
मेरा पथराया कन्धा
जो है सदियों से अन्धा
जो खोज चुका हर धन्धा
क्यों चुप रहता है ?
यह अग्निकिरीटी मस्तक
जो है मेरे कन्धों पर
यह ज़िन्दा भारी पत्थर
इसका क्या होगा ?