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यह ऋतु मधुमास की / गरिमा सक्सेना
Kavita Kosh से
फूट आईं नई कोंपल
देख ऋतु मधुमास की
छा गई है
फूल, फल आनंद की खुशबू
गुनगुनाती धूप भी अब
कर रही जादू
कूकने है लगी कोयल
देख ऋतु मधुमास की
खेत में फिर
दलहनी की फसल कैलाई
और झूमे पात-डाली
मस्त पुरवाई
हर तरफ हो रही हलचल
देख ऋतु मधुमास की
महक महुए की
करें मन को नशीला-सा
हो गया है
प्रेममय मौसम हठीला सा
प्रिय-मिलन को हृदय विह्वल
देख ऋतु मधुमास की