भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह कैसा पेड़ / ठाकुरप्रसाद सिंह
Kavita Kosh से
यह कैसा पेड़
लता है किसकी ?
सेंदुर का पेड़
लता है काजल की
तुम न बताना सबको
तुम न बुलाना सबको
अंगुली दिखाना मत
देखो मुरझाना मत
नजर इसे है विष की
हम दोनों आएंगे
ब्याह किए आएंगे
सेंदुर से माथा भर
काजल रचायेंगे
भेंट चढ़ाएंगे आँसू-जल की
लता काजल की