भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह कैसा संयोग सुनयने / चेतन दुबे 'अनिल'
Kavita Kosh से
यह कैसा संयोग सुनयने!
लगा प्रणय का रोग सुनयने!
मुझे प्रेम का पाठ पढ़ाकर
तुमने साधा जोग सुनयने!
बिना बात ही तुमने मुझ पर
लगा दिया अभियोग सुनयने!
तुम्हें मिला संयोग, शान्त रस
मुझको सिर्फ वियोग सुनयने!
मैं तो रमता राम, करो तुम
निज यौवन का भोग सुनयने!