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यह क्या कम है / प्रेमशंकर शुक्ल

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यह क्या कम है

घट नहीं रहा

अंतस का अमृत


जीवन की राह से

थक नहीं रहे पाँव


हताशा को धकियाता

खड़ा हूँ पूरम्पूर


जीवन की जय लगाते

लटपटा नहीं रही जीभ

यह क्या कम है