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यह जीवन है बाँसुरी / त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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यह जीवन है बाँसुरी, खाली खली मीत।
श्रम से इसे संवारिये, बजे मधुर संगीत॥
बजे मधुर संगीत, ख़ुशी से सबको भर दे।
थिरकेँ सब के पाँव, हृदय को झंकृत कर दे।
'ठकुरेला' कविराय, महकने लगता तन मन।
श्रम के खिलें प्रसून, मुस्कराता यह जीवन॥