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यह तो करना ही होता है / पृथ्वी पाल रैणा

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कितना भी मुश्किल हो चाहे
यह तो करना ही होता है
'काल’ के कर्कश चंगुल से तो
छूट निकलना ही होता है ।
पल भर पहले जो गुज़र गया
वो बीत गया जैसा भी था
कल जो आयेगा
मत सोचो कैसा होगा ।
अपना तो न वह था
जो कल बीत गया
और न वह होगा
जो कल आयेगा
मेरे कदमों के जितनी है
मेरी धरती
मेरी आंखों भर है
मेरा आसमान ।
एक कदम से लम्बी
कोई राह नहीं
एक जन्म से लम्बा
रिश्ता क्या होगा ।
सागर की गहराई हो
या आसमान की ऊं चाई
भीतर के विस्तार से
फिर भी बड़ी नहीं ।