भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह दुनिया / भारत यायावर
Kavita Kosh से
मूर्ख
ज्ञान को मुफ़्त में बाँटते रहते हैं
लोग उनसे दूर भागते रहते हैं
बनिए
ज्ञान को बेचकर अपना धन्धा चलाते हैं
मालामाल होकर सरकार से पुरस्कार पाते हैं
जो मूर्ख हैं न विद्वान
वे खा-पीकर आराम से रहते हैं
उन्हें किसी से कुछ मतलब नहीं होता !