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यह धरती हरी-भरी रहेगी / रामकृष्ण पांडेय
Kavita Kosh से
किसी की भी युद्ध लोलुपता
विनष्ट नहीं कर सकती है
इस धरती को
यह धरती हरी-भरी रहेगी
हरे-भरे रहेंगे पेड़-पौधे
रंग-बिरंगे खिलते रहेंगे फूल
आकर्षक और सुगन्ध भरे
इन्हीं फूलों की तरह
खिली रहेगी
बच्चों के होठों पर हँसी
किसी की भी युद्ध लोलुपता
विनष्ट नहीं कर सकती है
इस धरती को
यह धरती हरी-भरी रहेगी