भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह रहा उसका घर-3 / गगन गिल
Kavita Kosh से
यह रहा
उसका दरवाज़ा
जो उसने बंद किया
आकांक्षा के मुँह पर
यह रही
उंगली उसकी
- दरवाज़े में
- भिंची हुई