भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह रहा उसका घर-6 / गगन गिल
Kavita Kosh से
ये रहे उसके वृक्ष
ये रहे
यक्ष
बोधिसत्व
उसकी छत पर
यह रहा
तुम्हारा पाँव
- उसके पूर्वजन्म से आता हुआ