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यह सपना नहीं / सत्यनारायण सोनी
Kavita Kosh से
सहमी हुई थी चिडिय़ा
बहुत दिनों से।
यह सपना नहीं,
हकीकत है
जो मैंने देखा-
बहुत दिनों बाद
फुदकी चिडिय़ां
पूरे झुंड में
मेरे आँगन के बीचोबीच।
और पहली बार
देखी मैंने
बिल्ली और कौए के
चेहरों पर
उड़ती हवाइयां।
1992