Last modified on 11 अक्टूबर 2022, at 23:28

यात्री ध्यान दें / देवनीत / रुस्तम सिंह

 आ जाओ अन्दर

मेरी कोठड़ी का लाईव हॉल
मैट पर नाराज़ पड़ा पायदान
साथ ही अण्डरवियर
और रुमाल
पड़े हैं
रुमाल के साथ ही कल बाँधी पगड़ी के
खण्डरात

मेहदी हसन की ग़ज़ल
चल रही है

बोतल और साथी उसकी अन्य सामग्री में
घिरा हूँ मैं
अपना अकबर हूँ मैं

अब
समय
मेरा बीरबल नहीं ।

मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : रुस्तम सिंह