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यादें-पलकों-सजी / सरस्वती माथुर

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यादें गरजें
सावन की घटा- सी
मन- बरसे
     22
 भटकी यादें
आवारा बादल -सी
 बिन बरसे
   23
यादों का चाँद
खोये -खोये मन सा
गगन चढ़ा
         25
आँसू के जैसी
यादें -पलकों सजीं
थिर हो गईं
   26
हौले से आईं
पतझड़ -सी यादें
मन उदास
   27
मन पाखी- सा
यादों के पिंजरे में
फड़फड़ाए
  28
मन- डोर पे
पतंग -सी यादें
गगन उड़ीं
   29
भीगा मौसम
बीज-सी दबी यादें
अँखुवा गईं
30
विकल प्राण
यादों की आहट है
उल्कापात -सी
  31
भीगी यादें हैं
मधुर पल बीते
मन हैं रीते
   32
यादें रेशमी
नीर बहते हुए
जल बिन्दु- से
    33
यादों की डोरी
बिस्तरबंद- मन
बँधा ही रहा
   34
यादों के पथ
मन की पगडण्डी
भटके हम
   35
यादों- भरे हैं
मधु-घट मन के
फिर भी प्यासा
   36
तारों भरी है
यादों की रजनी भी
मन भी दीप्त
    37
गरजता है
यादों -भरा अंधड़
उड़ा मन भी