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यादें जो है ज़िन्दगी / जेन्नी शबनम
Kavita Kosh से
1.
वर्षा की बूँदें
टप-टप बरसे
मन का कोना भींगे,
सींचती रही
यादें खिलती रही
यादें जो है ज़िन्दगी !
2.
जी ली जाती है
कुछ लम्हें समेट
पूरी यह ज़िन्दगी,
पूर्ण भले हो
मगर टीसती है
लम्हे-सी ये ज़िन्दगी !
3.
महज नहीं
हाथ की लकीरों में
ज़िन्दगी के रहस्य,
बतलाती हैं
माथे की सिलवटें
ज़िन्दगी के रहस्य !
4.
सीली ज़िन्दगी
वक्त के थपेड़ों से
जमती चली गई
कैसे पिघले ?
हल्की-सी तपिश भी
ज़िन्दगी लौटाएगी !
5.
शैतान हवा
पलट दिया पन्ना
खुल गई किताब
थी अधपढ़ी
जमाने से थी छुपी
ज़िन्दगी की कहानी !
(सितम्बर 24, 2012)