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यादें हैं सपने हैं खूब कहानी है / रंजना वर्मा

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यादें हैं सपने हैं खूब कहानी है
दुनियाँ इनके आगे पानी-पानी है

ख़्वाब तसव्वुर और तमन्नाएँ मिलकर
दिखलाते दुनियाँ कितनी लासानी है

आँधी चली तशद्दुद की था खून बहा
दास्तान सब को वह याद जबानी है

अब भी जलियांवाला की धरती पूछे
क्या बेकार रही सारी कुर्बानी है

हँसते हुए करें कुर्बान सिरों को जो
उन वीरों की ही तो धन्य जवानी है

जगमग क़रतीं चाँद सितारों की नगरी
हमसे अब न रही यह भी अनजानी है

नोक पलक जिसकी सँवारते ख़्वाबों में
वैसी ही जन्नत जमीन पर लानी है