भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यादों की बारात निकली है आज दिल के द्वारे / मजरूह सुल्तानपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

कि: ( यादों की बारात निकली है आ दिल के द्वारे
 दिल के द्वारे ) २
 सपनों की शहनाई बीते दिनों को पुकारे
 दिल के द्वारे
 हो ओ छेड़ो तराने मिलन के प्यारे प्यारे
 संग हमारे

कि: बदले ना अपना ये आलम कभी
 जीवन में बिछड़ेंगे ना हम कभी
र: बदले ना अपना ये आलम कभी
 जीवन में बिछड़ेंगे ना हम कभी
 यूं भी जाओगे आख़िर कहाँ होके हमारे

दो: यादों की बारात \.\.\.

र: आगे भी होगा जो उसका करम
कि: ये दिन तो मनायेंगे हर साल हम
र: अपने आंगन नाचे गायेंगे चन्दा सितारे

दो: यादों की बारात \.\.\.