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यादों की बारात निकली है आज दिल के द्वारे / मजरूह सुल्तानपुरी
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कि: ( यादों की बारात निकली है आ दिल के द्वारे
दिल के द्वारे ) २
सपनों की शहनाई बीते दिनों को पुकारे
दिल के द्वारे
हो ओ छेड़ो तराने मिलन के प्यारे प्यारे
संग हमारे
कि: बदले ना अपना ये आलम कभी
जीवन में बिछड़ेंगे ना हम कभी
र: बदले ना अपना ये आलम कभी
जीवन में बिछड़ेंगे ना हम कभी
यूं भी जाओगे आख़िर कहाँ होके हमारे
दो: यादों की बारात \.\.\.
र: आगे भी होगा जो उसका करम
कि: ये दिन तो मनायेंगे हर साल हम
र: अपने आंगन नाचे गायेंगे चन्दा सितारे
दो: यादों की बारात \.\.\.