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यादों के समन्दर में नज़र डूब रही है / गुलाब खंडेलवाल

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यादों के समन्दर में नज़र डूब रही है
फिर प्यार की लहर में नज़र डूब रही है

मिलता नहीं है आपसे तिनके का सहारा
दिल फँस गया भँवर में, नज़र डूब रही है

देखा किये हैं हमको सदा दूर ही से आप
अब आइये भी घर में, नज़र डूब रही है

सब हाथ मल रहे हैं खड़े और ज़िन्दगी
उलझाके हर नज़र में नज़र, डूब रही है

मन में बसी है और ही ख़ुशबू कोई, 'गुलाब'!
ऐसे तो बाग़ भर में नज़र डूब रही है