यादों में ही आएँ उन्हें आने को कहूँगा / रवि सिन्हा
यादों में ही आएँ उन्हें आने को कहूँगा
तनहाई की ये शाम सजाने को कहूँगा
आँखों से जो देखूँ मुझे नाबीना<ref>अंधा (blind)</ref> कहे है
तिरा हुस्न मुफ़क्किर<ref>चिन्तक, दार्शनिक (thinker, philosopher)</ref> को दिखाने को कहूँगा
वो बात इरादे की शक़्ल ले न सकी थी
उस बात को फिर लब पे न आने को कहूँगा
साग़र में डुबोने के लिए और भी ग़म हैं
इस एक से मैं साथ निभाने को कहूँगा
उम्रे-दराज़ हाफ़िज़ा<ref>स्मरण-शक्ति (memory)</ref> की झील वो लबरेज़
आबे-हयात<ref>अमृत (nectar of life)</ref> लम्हों से लाने को कहूँगा
सुनते हैं के मग़रिब<ref>पश्चिम (the West)</ref> ने बिगाड़ा है मिरा मुल्क
जो मशरिक़<ref>पूरब (the East)</ref> कमाल है तो दिखाने को कहूँगा
क्या हाल किया है अपना ख़ुद पे नज़र डाल
ये मुझ पे छोड़ क्या मैं ज़माने को कहूँगा