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याद आये कभी जो मेरी आपको / शशांक मिश्रा 'सफ़ीर'
Kavita Kosh से
याद आए कभी जो मेरी आपको,
देखकर आइना मुस्कुरा दीजिए।
अक्स मेरे दिखे जो आँख में आपके,
सनम पलकों का मोती बना लीजिए।
दिल की दुनिया अमावस-सी बदरंग हो।
जब हृदय की हृदय से प्रबल जंग हो।
अपने कदमों पर भी जब यकीं न रहे,
कर इशारे मुझे फिर बुला लीजिए।
यूँ हथेली पर मुझको अगर लिख सको,
तो समझना कि पूरा मैं हो जाऊंगा।
गुनगुनाओ मुझे जो मेरी जिंदगी,
गीत बनकर हृदय में उतर जाऊंगा।
सुरमई राग-सा मैं निखर जाऊँगा,
सुर्ख होंठो पर मुझको सजा लीजिए।