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याद तुम्हारी / ज्योत्स्ना शर्मा
Kavita Kosh से
नई भोर -सी
दमकाती है मन
याद तुम्हारी
पल -पल है प्यारी
मुग्ध कली- सी
महकाती है मन
याद तुम्हारी
ज्यों सुरभि की झारी
प्यार पगी -सी
सरसाती है मन
याद तुम्हारी
यूँ रस बरसा री
कुंज गली -सी
भटकाती है मन
याद तुम्हारी
सब कुछ मैं हारी
सुनो न कान्हा !
तरसाती है मन
याद तुम्हारी
आओ कृष्ण मुरारी
संग हों राधे प्यारी !!