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याद दिलाने के लिए / प्रेरणा सारवान
Kavita Kosh से
बरसों हुए
अब वो
उसकी ज़िन्दगी में नहीं है
लेकिन फिर भी है
जैसे तस्वीर होती है
जैसे अतीत होता है
जैसे यादें होती है
जैसे आवाज़ होती है
जैसे लिखे हुए
लफ्ज़ रह जाते हैं
जैसे जख़्म के बाद
कोई निशान रह जाता है
जैसे किसी बात का
मलाल रह जाता है
हाथ छोड़ कर चला जाता है कोई
लेकिन ख़्याल रह जाता है
जैसे अच्छी बुरी
गन्ध रह जाती है
किसी उजले वस्त्र पर
कोई बदनुमा दाग़ रह जाता है
जैसे कड़वी, कसैली चीजों का
स्वाद रह जाता है
हमेशा उस दर्दनाक पल की
याद दिलाने के लिए
ऐसे ही वो नहीं हो कर भी
उसकी ज़िन्दगी में
रह गया है।