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याद रखना / मधुप मोहता

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याद रखना
बदलियाँ
महकी हवा
बहका हुआ मौसम
चूराना रोशनी से ख्वाब
चलना हाथ में ले हाथ
कहना, या न कहना,
प्यार था
या खुशबुएँ कुछ लिख रही थी
रात की बीती हुई उस बात का अहसास
जुगनू, ओस, बजती बांसुरी का सुर
मुझे तुम भूल जाना

याद रखना
वादियाँ,
झील के खामोश,
ठहरे पानिओं पर
किश्तिओं का थिरकना
सीपियाँ चुनना, किनारे पर
घरोंदो का, लहर में डूब जाना,
रेत में कुछ नाम लिख कर मुस्कुराना
फिर मिटाना,
वहाँ मत लौट जाना

याद रखना
बिजलियाँ, जलती हुई
बुझती हुई चिंगारियों का
राख बन जाना
साँसों का सुलगना
पूस की ठिठुरन
तुम्हारी उँगलियों का कंपकपाना
हमारी धडकनों का लडखडाना सच नहीं था,
कोई सपना था
उसे मत भूल जाना.

याद रखना
तितलियाँ,
खिलते हुए कुछ फूल
भोंरों का मगन हो गुनगुनाना,
भूली हुई कुछ बस्तियों में
ज़िन्दगी की रेलगाड़ी
से उतरती भीड़ का रेला
मैं वंही बैठा हुआ हूँ,
आज भी तन्हा, अकेला
मुझे मत ढूंढना,
पर खो न जाना
याद रखना