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याद रखने वाली बातें / अशेष श्रीवास्तव

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याद रखने वाली बातें भूल गये
भूलने वाली बातें याद रखते गये...

जाने क्यों लोग ख़ुशी के मौके पर भी
नाराजियाँ तलाशते रह गये...

समझदार लोग तो क़िताबों में ही
बारिश को समझते रह गये...

और नादान लोग बारिश में भीग कर
लुत्फ उठा कर निकल गये...

गरीब का घर जला
लोग हाथ तापने बैठ गये...

जरा वक़्त क्या फिरा
लोग हिसाब करने बैठ गये...

सुलह तो चाहते थे दोनों ही
पर अहम में अपने अटक गये...

पहल करने में छोटे न हो जायें
इस सोच में जबरन उलझ गये...

कभी इस से कट, उसके हो गये
कभी उस से कट, इसके हो गये...

मतलब के बस हिसाब से
किसी से कट किसी के हो गये...

कभी थक गये कभी गिर गये
कभी राह अपनी भटक गये...

हारे नहीं टूटे नहीं ईश को भूले नहीं
मंज़िल पर अपनी पहुँच गये...