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याद सहरा सा आ गया कोई / सूरज राय 'सूरज'

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याद सहरा-सा आ गया कोई.
आँख बारिश बना गया कोई॥

देख दिल तोड़ के यक़ीं तेरा
वो गया वह गया-गया कोई॥

एक-एक ईंट तंज़ करती है
साथ ले घर चला गया कोई॥

एक क़ैदी था मैं अमावस का
जेल पूनम बना गया कोई॥

ज़िंदगी ढूंढती रही मुझको
लाश मेरी छुपा गया कोई॥

धूल आँखों में झोंककर मेरी
साफ़ सब कुछ दिखा गया कोई॥

जीत ऐसी न हो कभी "सूरज"
हार के ख़ुद हरा गया कोई॥