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यायांवर / उर्मिल सत्यभूषण
Kavita Kosh से
शीत, आतप, वात, पानी
क्या कहेंगे-
रोक पायेंगे नहीं
उसके कदम को
शैल पत्थर
खुद ढहेगे
चाह संकल्पित
को देंगे राह
बनकर धार
पानी की बहेगे
हैं यायावर जो
सदा चलते
रहेगे।