भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यार का मुझको इस सबब डर है / शाह हातिम
Kavita Kosh से
यार का मुझको इस सबब डर है
शोख, ज़ालिम है, और सितम्गर है
देख सर्वे -चमन तेरे क़द को
ख़जिलो-पाबगिल है, बे-बर है
हक़ में आशिक के तुझ लबाँ का बचन
क़ंद है, नैशकर है, शक्कर है
क्यों के सबसे तुझे छुपा न रखूँ
जान है, दिल है, दिल का अंतर है
मारने को रक़ीब के ’हातिम’
शेर है, बबर है, घनत्तर है
शब्दार्थ :
सर्वे-चमन = बाग के फल
ख़जिलो पाबगिल = मिट्टी में गड़ा हुआ या लज्जित
बे-बर = बिना फल
कंद = मिस्री की डली
नैशकर = गन्ना
अंतर = आत्मा