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यार का मुझको इस सबब डर है / शाह हातिम

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यार का मुझको इस सबब डर है
शोख, ज़ालिम है, और सितम्गर है

देख सर्वे -चमन तेरे क़द को
ख़जिलो-पाबगिल है, बे-बर है

हक़ में आशिक के तुझ लबाँ का बचन
क़ंद है, नैशकर है, शक्कर है

क्यों के सबसे तुझे छुपा न रखूँ
जान है, दिल है, दिल का अंतर है

मारने को रक़ीब के ’हातिम’
शेर है, बबर है, घनत्तर है


शब्दार्थ :
सर्वे-चमन = बाग के फल
ख़जिलो पाबगिल = मिट्टी में गड़ा हुआ या लज्जित
बे-बर = बिना फल
कंद = मिस्री की डली
नैशकर = गन्ना
अंतर = आत्मा