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या दुनिया दुखी फिरै, चक्र मै सारी / राजेराम भारद्वाज

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               (21)

सांग:– महात्मा-बुद्ध (अनुक्रमांक- 31)

जवाब – महात्मा बुद्ध का।

या दुनिया दुखी फिरै, चक्र मै सारी,
वो सबके दुख दूर करै, गिरधारी ।। टेक ।।

बहरा माणस, कान बिना दुखी सै,
गुंगा सिर्फ, जबान बिना दुखी सै,
बांझ बीर, संतान बिना दुखी सै,
मुर्ख माणस, ज्ञान बिना दुखी सै,
स्याणा माणस दुखी सै, अंहकारी ।।

भाईया मै होया खार, दुखी देखे सै,
बेटा-बेटी बिन सार, दुखी देखे सै,
सब मतलब के यार, दुखी देखे सै,
बीर-मर्द बिन प्यार, दुखी देखे सै,
बिना प्यार की बिगड़ै, रिश्तेदारी ।।

ठाढे आगै माणस, कमजोर दुखी सै,
चंद्रमा बिन रहै, चकोर दुखी सै,
हाकिम भी एक, रिश्वतखोर दुखी सै,
हवालात मै डाकू, चोर दुखी सै,
पिंजरे मै हाथी-शेर, नाग पिटारी ।।

लख्मीचंद का नाम, जमाना जाणै,
मांगेराम सांग का काम, जमाना जाणै,
लिया मान गुरु का धाम, जमाना जाणै,
यो पंडित राजेराम, जमाना जाणै,
8 मील भिवानी तै, गाम लुहारी ।।