भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
या देवी सर्वभूतेषु / श्लोक
Kavita Kosh से
या देवी सर्वभुतेषू विष्णु मायेती शब्दिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधियते
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभुतेषु बुद्धिरुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभुतेषु निद्रारुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभुतेषु क्षुधारुपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः