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या मकानों का सफ़र अच्छा रहा / राकेश जोशी
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या मकानों का सफ़र अच्छा रहा
या ख़ज़ानों का सफ़र अच्छा रहा
जो ज़बां लेकर चले थे, मिट गए
बे-ज़बानों का सफ़र अच्छा रहा
भूख के किस्से ग़रीबों ने सुने
दास्तानों का सफ़र अच्छा रहा
झुग्गियों में पल रही है सभ्यता
आसमानों का सफ़र अच्छा रहा
कुछ बुझे चूल्हे बताते रह गए
कारख़ानों का सफ़र अच्छा रहा
मुश्किलें सारी पहाड़ों पर मिलीं
पर, ढलानों का सफ़र अच्छा रहा
था सफ़र नादान लोगों का कठिन
कुछ सयानों का सफ़र अच्छा रहा
पीढ़ियां-दर-पीढ़ियां पूजी गईं
हुक्मरानों का सफ़र अच्छा रहा