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या मुझे ज़ोर से सुनाने दे / कांतिमोहन 'सोज़'
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या मुझे ज़ोर से सुनाने दे ।
या मुझे कुछ क़रीब आने दे ।।
बर्क़ से क्यूँ अभी से सरगोशी<ref>कानाफूसी</ref>
आशियाँ तो मुझे बनाने दे ।
किसलिए इस क़दर निगहबानी<ref>चौकसी</ref>
दिल में कोई ख़राश आने दे ।
या तो कह दे कि खून बहता है
आब है तो मुझे बहाने दे ।
तेरा जाना अजल<ref>मौत</ref> से कम है क्या
मुझको थोड़ा तो होश आने दे ।
हाले-दिल है कोई किताब नहीं
कुछ तो तफ्सील<ref>विस्तार</ref> से सुनाने दे ।।
शब्दार्थ
<references/>